मैंने लगाया है पौध एक पारिजात का। योगमय एक लम्बी प्रतीक्षा के बाद, समय आने पर संवेदनशील,जागृत रूप में शब्दों के सुवासित फूलों में अनुबंध खिलेंगे मेरे-इनके साथ का। विविधतापूर्ण इस सृष्टि में सृजन के भावनात्मक आत्मीयतापूर्ण संबंध मिलेंगे प्रणयी प्रकृति के दिन-रात का। आ जाना बन के बाराती जीवन के बारात का। जो भी पढ़ेंगे बन सहभागी इस किताब का। शब्द-शब्द महकेंगे, मध्य-अंत तक शुरुआत का। पाण्डेय सरिता
लिंक पाएं
Facebook
X
Pinterest
ईमेल
दूसरे ऐप
-
लिंक पाएं
Facebook
X
Pinterest
ईमेल
दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
-
प्रत्येक शुरुआत कितना महत्वपूर्ण होता है ना? एक नये श्रृजन रूप में! भावनात्मक संवेदन रूप में! हृदय के स्पंदन रूप में! मानवीय मूल्यों के अनुकूलन रूप में!९
ऐ मेरी जिंदगी के पन्ने! मिलोगे मुझे तुम सिमटे कि बिखरे! गजब बवाल भरे सवाल! या छवि बेदाग साफ़ सुथरे! आइने सी पारदर्शी! या रहस्यमय गहरे! स्वतंत्र हवाओं सी या कैद भरे पहरे! रसभरे या निचोड़े हुए गन्ने! ऐ मेरे जिंदगी के पन्ने!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें