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मैंने लगाया है पौध एक पारिजात का। योगमय एक लम्बी प्रतीक्षा के बाद, समय आने पर संवेदनशील,जागृत रूप में शब्दों के सुवासित फूलों में अनुबंध खिलेंगे मेरे-इनके साथ का। विविधतापूर्ण इस सृष्टि में सृजन के भावनात्मक आत्मीयतापूर्ण संबंध मिलेंगे प्रणयी प्रकृति के दिन-रात का। आ जाना बन के बाराती जीवन के बारात का। जो भी पढ़ेंगे बन सहभागी इस किताब का। शब्द-शब्द महकेंगे, मध्य-अंत तक शुरुआत का। पाण्डेय सरिता
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