शुभ हो!उज्ज्वल नवज्योतिर्मय दीप ज्योति,भाव ज्योति आशा ज्योति, जीवन ज्योति! सत्यम्-शिवम्-सुंदरम्! हर्ष-आनन्दमय, शुभ मंगल, शुभ जीवन! शुभ-शुभ-शुभ हो... ।प्रातः शुभ,मध्याह्न शुभ, संध्या शुभ हो!क्षण-क्षण, कण-कण, ऋतुओं के वर्ष-मास, रात्रि-दिवस शुभ हो...। शुभ-शुभ-शुभ हो। तन-मन-धन-आत्मा, जड़-चेतन परमात्मा, जागृत-चैतन्यता भरी, सर्वस्व अष्ट सिद्धियाँ,नव निधियाँ शुभ हो! शुभ-शुभ-शुभ हो...। भूत-भविष्यत-वर्तमान शुभ हो। आदि-मध्य और अंत शुभ हो। दिग् और दिगन्त शुभ हो! शून्य से लेकर अनन्त तक शुभ हो! शुभ-शुभ-शुभ हो...! व्यवहार-संस्कारों की कर्त्तव्य-अधिकारों की व्यष्टिगत-समष्टिगत मौन-मुखर अभिव्यक्तिगत भावना-संभावना शुभ हो!शुभ-शुभ-शुभ हो...! शनिवार 14/10/20 दीपावलि
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प्रत्येक शुरुआत कितना महत्वपूर्ण होता है ना? एक नये श्रृजन रूप में! भावनात्मक संवेदन रूप में! हृदय के स्पंदन रूप में! मानवीय मूल्यों के अनुकूलन रूप में!९
ऐ मेरी जिंदगी के पन्ने! मिलोगे मुझे तुम सिमटे कि बिखरे! गजब बवाल भरे सवाल! या छवि बेदाग साफ़ सुथरे! आइने सी पारदर्शी! या रहस्यमय गहरे! स्वतंत्र हवाओं सी या कैद भरे पहरे! रसभरे या निचोड़े हुए गन्ने! ऐ मेरे जिंदगी के पन्ने!
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